महाकुंभ का अर्थशास्त्र
धर्म का संबंध सिर्फ धार्मिक उपासना ,पूजा, अर्चना, नीति मूल्यों तक ही सीमित नहीं है बल्कि धर्म व्यापक अर्थों में सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक उपक्रमों का प्रतिबिम्ब होता है। स्वाभाविक रूप से संगम नगरी प्रयागराज का महाकुंभ केवल एक धार्मिक मेला नहीं, बल्कि एक ऐसा उत्सव है, जो भारतीय संस्कृति, परंपरा और आधुनिकता का संगम है। इसके आयोजन पर होने वाला खर्च, व्यवस्थाओं का विस्तार और इससे जुड़ी आर्थिक गतिविधियां इसे एक अद्भुत और अद्वितीय आयोजन बनाती हैं। इसका धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पक्ष के साथ साथ आर्थिक पक्ष भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह व्यापार और आर्थिक विकास के लिए एक बड़ा अवसर प्रदान करता है। महाकुंभ के आयोजन पर किये जानेवाले व्यय, इसके बजट के आकार ,रोजगार सृजन, आधारभूत संरचना के विकास, पर्यटन में वृद्धि और व्यापारिक आय में वृद्धि से इसका आर्थिक महत्व परिलक्षित होता है। प्रयागराज में महाकुंभ मेला आयोजन के डेढ़ महीने में लगभग 40 करोड़ श्रद्धालु का संगम क्षेत्र में आगमन, आयोजन 7500 करोड़ रुपये का खर्च, 4 हजार हे...