प्रिपरेशन
बिहारी कक्का आज पूरे फार्म मे थे। जैसे लाठी सोंटा लेकर सरकारे पर पिल पड़े हों। "ऐसे ही हाल रहा तो कोई सरकारी नौकरी का नाम नही लेगा। अरे! काहे को इसके पीछे बिहारी, बंगाली और पुरब...
समसामयिक विषयों का विश्लेषण, ग्रामीण अंचल की किस्सा कहानी और पुस्तक समीक्षा