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Showing posts from December, 2017

रोहू माछ का मूंड़ा

"का हो भैयारी! कहाँ से भोरे भोरे लपक लिए! एतना सबेरे कौआ भी टहकार न मारा होगा और आप रोहू धर लिए!"  सोनफी झा कान से जनेऊ उतारते हुए बोले! कमलेश ठाकुर के हाथ मे लपलपाता रोहू माछ देख क...

मुझे गांधी बनना है

"तुम्हारी इतनी हिम्मत की मुझे गांधी बनने से रोको! " आइ विल फाइट फार दिस काज"! कक्का जोरों से  बड़बड़ा रहे थे "मैने बचपन से सपने देखे हैं! तख्त बदल दो ताज बदल दो"!.नारे ऐसे नही लगाये हैं। नया इतिहास लिखना है, इतिहास बदलना है। सारे मानक ध्वस्त होंगे, नये मानको के बीच चमकता हमारा चेहरा होगा जो चांद पर बैठे अंतरिक्ष यात्री को भी दिखेगा"! मै पूछूंगा" कैसा दिखता है मेरा हिन्दोस्थान"! वो पलट कर आह्लादित होकर बोलेगा" सिर्फ आप ही आप दिखाई पड़ते हो, यहाँ से। चाहे एफिल टावर हो, दुबई बुर्ज हो या चीन की दीवार, सब पर आपका ही अक्स है, आपके ही चर्चे हैं, तब मै खुश हो जाऊंगा। "कक्का !लगता है कि आप पगला गये हैं ! ये क्या बके जा रहे हैं! ये किसके बारे मे बोल रहे हैं"! चंदेसर ने टोका।पर काका आज तो अपनी ही रौ मे थे। सबेरे सबेरे भांग का दू गोला पानी के साथ गटक लिए थे। भोले बाबा का बैताल पचीसी अपना रंग दिखा रही थी। "मै लडूंगा, कामन काज के लिए लड़ूंगा। तुम मुझसे मेरे लड़ने का अधिकार नही छीन सकते। बिना लड़े तो इतिहास नही बदल सकता न! तुम मुझसे मेरे एक...